शायरी मेरी कलम से !!
Amateur Shayar :)
Saturday 21 March 2015
जज़्बात काबू में नही रहते हमारे... !!
हर तारे को टूट कर गिरने का डर होता है
हर काँच को टूट कर बिखरने का डर होता है।
क्यों जज़्बात काबू में नही रहते हमारे ,
हर दिल को टूट कर गम सहने का डर होता है
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