Amateur Shayar :)
हर शाम इस गली से गुज़र जाया करती थी
हर सुबह इस खिड़की पर ख्वाइशें भिछाया करती थी।
न जाने वो कौनसा लम्हा था जब,
हर रात दरवाज़े को जुगनुओं से रोशन कर जाया करती थी।