Tuesday 16 March 2021

जुगनुओं से रोशन ...

हर शाम इस गली से गुज़र जाया करती थी

हर सुबह इस खिड़की पर ख्वाइशें  भिछाया करती थी

जाने वो कौनसा लम्हा था जब,

हर रात दरवाज़े को जुगनुओं से रोशन कर जाया करती थी