Monday, 23 January 2023

तुम्हारी आँखों की चमक रोने नहीं देती

 तुम्हारी आँखों  की चमक  रोने नहीं देती,

तुम्हारी पाजो  की खनक सोने नहीं देती।

तुम ही बताओ अब कैसे समझाए इस दिल को,

जब तुम्हारी केशों कि उलझन सुलझने नहीं देती।


Tuesday, 16 March 2021

जुगनुओं से रोशन ...

हर शाम इस गली से गुज़र जाया करती थी

हर सुबह इस खिड़की पर ख्वाइशें  भिछाया करती थी

जाने वो कौनसा लम्हा था जब,

हर रात दरवाज़े को जुगनुओं से रोशन कर जाया करती थी

Sunday, 19 July 2020

गिर कर संभलना..

मंज़िल और सफर अब एक सपना लगता है, 

इस सफर में हर राही से डर लगता है। 

इन डगमगाती डगर से तुम न डरना अब ,क्यूँकि 

गिर कर संभलना और मंजिल तक पहुंचना अब अच्छा लगता है। 



गुररूर था...


गुररूर था हमें अपने हुस्न पे कहीं

जब उन्हें देखा तो बिखर गया यहीं

न जाने वक़्त वो कौन सा था

जब उनकी राह में देखे टूट ते तारे यूहीं